नलबारी, 21-जुन-2017 |अदभुत पुस्तक “योग-विज्ञानम” “The Neurophilosophical Approch to the Yoga” का अभूतपूर्व विमोचन तृतीय अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के महान अवसर पर योग विज्ञान के गूढ़ रहस्यों से युक्त अदभुत ग्रंथ “योग-विज्ञानम” कई शहरों में एक साथ हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में लोकार्पण हुआ | यह ग्रन्थ आम व्यक्ति से लेकर विश्वविद्यालय तक के विद्यार्थियों-शोधार्थियों व प्राध्यापकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा | निगूढ़ योगविद्या के शुद्ध स्वरुप सरल रूप से समझाने वाली यह पुस्तक युगों-युगों तक ऋषियों की अमूल्य धरोहर में धरा पर रहकर जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन करती रहेगी | अहमदाबाद में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित भाई शाह जी, गुजरात के मुख्यमंत्री माननीय श्री विजय रूपानी जी व श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के सानिध्य में तथा असम के नलबारी ज़िले में माननीय मुख्यमंत्री श्री सर्बानन्द सोनोवाल व आयुष मंत्री श्री हिमन्ता विश्व शर्मा जी, उद्धोग मंत्री श्री चंद्रमोहन पटवारी जी की पावन उपस्थिति में , बैंगलोर के आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी महाराज, राजस्थान में मुख्यमन्त्री माननीया श्रीमती वसुंधरा राजे सिन्धिया जी ने , मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने , हरियाणा में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी ने किया, हिमाचल में महा माहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी , छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री रमण सिंह जी , गोवा के मुख्यमंत्री माननीय मनोहर परिकर जी, झारखण्डके मुख्यमंत्री माननीय श्री रघुवर दास व झारखण्ड की महामहिम राज्यपाल सुश्री द्रौपदी मुर्मू जी , आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चन्द्रबाबू नायडू जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री माननीय श्री देवेन्द्र फड़नवीस जी,कर्नाटकके माननीय आयुष निदेशक श्री जवाहर लाल पवार, तेलंगाना के सांसद श्री विशवेश्वर रेडी व ओड़िसा के राजा व मंदिर के प्रथम सेवक गजपति महाराज व तमिलनाडु के प्रसिद्ध संत हृदयानंद जी महाराज आदि देश के सभी मुख्य प्रांतों के मुख्यमंत्री व अन्य प्रतिष्ठित संतों व व्यक्तियों द्वारा एक ही दिन में एक ही समय पर २० से अधिक स्थानों पर विमोचन किया गया।
योग विज्ञानम योग के क्षेत्र की प्रथम पुस्तक है जिसमें योग के सार्वभौमिक, सार्वकालिक व सार्वजनिक स्वरूप, योग के इतिहास, स्वामी जी महाराज द्वारा प्रचारित आठ प्राणायामों की विधि, लाभ, सावधानियों आदि कपालभाति के वास्तविक स्वरूप का विवेचन, प्राणायाम के द्वारा कुण्डलिनी जागरण की प्रक्रिया, इड़ा पिंगला व सुषुम्ना नाड़ियों के शास्त्रीय स्वरूप का वैज्ञानिक विवेचन, अष्टचक्र , आत्मतत्व, पिण्ड ब्रह्माण्ड, मानव पिण्ड में आत्मा का प्रवेश आदि विषयों को शास्त्रीय शैली में अभिव्यक्त करने वाली इस तरह की यू योग जगत की प्रथम पुस्तक है । यू पुस्तक योग जगत के लिए तृतीय अंतर्रष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एक अमूल्य व अविस्मरणीय उपहार है|