हरिद्वार, 02-अक्टूबर-2017 | भागदौड़ भरी जीवन पद्धति और अनियमित खानपान ने बिगाड़ा मानव जीवन का स्वरूप: #आचार्यबालकृष्ण
एरोमा थेरेपी की प्रभावशीलता अब भारत में ही नहीं अपितु दुनियाभर में: दिआना लिम
हरिद्वार, 02 अक्टूबर। आज एरोमा थैरेपी स्पा विशेषज्ञों का 14 सदस्यीय दल पतंजलि योगपीठ भ्रमण के लिए पधारा। दल में 10 सदस्य ताइवान तथा 4 सदस्य सिंगापुर से थे। दल के प्रमुख दिआना ओलिविया लिम व दल के अन्य सदस्यों ने पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल का दौरा किया तथा पतंजलि की चिकित्सा पद्धति विशेषकर पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की सराहना की।
बैठक में इन विशेषज्ञों के साथ एरोमा थेरेपी के विषय में गहन चर्चा हुई, प्रस्तुत है इस परिचर्चा के कुछ अंश जो हमने शिष्ट मण्डल से साझा किए –हमारा शरीर हमें प्रकृति की सबसे अनमोल देन है। आज की भागदौड़ भरी जीवन पद्धति और अनियमित खानपान ने इसका स्वरूप ही बिगाड़ दिया है। बदलती परिस्थितियों में थकान, तनाव व रोगों से भरा शरीर जीवन के अहम हिस्से बन चुके हैं। इस तनाव व थकान से बचने के लिए एरोमा थेरेपी बड़ी कारगार सिद्ध हो रही है।
एरोमा का शाब्दिक अर्थ है सुगंध एवं एरोमाथेरेपी का अर्थ होता है सुगंध की सहायता से की जाने वाली चिकित्सा। पौरीणिक गाथाओं में बताया गया है कि घरों में सुगंधित फूल चढ़ाने, सुगंधित लकड़ियां, धूप, होम-हवन करना विशेषकर उसके सुंगधित धुएं को पूरे घर में फैलाने से नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है और सकारात्मक ऊर्जा अंदर प्रवेश करती है।
प्राचीन काल में लोगों का जीवन संयमित व नियमबद्ध था। लोग अपनी प्राकृतिक संपदा से जुड़े रहते थे तथा प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर अपने शरीर की सारी व्याधियों का उपचार किया करते थे। शारीरिक त्वचा को और ज्यादा निखारने के लिए कई घरेलू औषधियों का उपयोग कर शरीर का कायाकल्प किया जाता था। आज इन्हीं प्राकृतिक चीजों के उपयोग को एरोमाथेरेपी का नाम दिया गया है। ऐरोमा थेरेपी उपचार की वह पद्धति है जिसमें खुशबू के द्वारा अनेक बीमारियों का निदान होता है। यह कई प्रकार के पेड़, पौधों की जड़ों, पेड़ो के तने, फल-फूल, सब्जियां और कुछ मसालों को मिलाकर डिस्टीलेशन पद्धति के द्वारा इसका अर्क निकाला जाता है। फिर इस अर्क की औषधि से शारीरिक उपचार किया जाता है। जिससे रोग एवं त्वचा संबंधी बीमारी तो दूर होती ही है। इसके अलावा इसकी खुशबू से शारीरिक तनाव भी अपने आप दूर हो जाता है।
विशेषज्ञों के इस दल में इनालम फ्रयू यिन, दिआना ओलिविया लिम, सोह ले जिओक, ली किम कोह, ली ओयू, ली शिन, लिन कुई चुन, लिन ली चिऊ, हो चिह चिंग, चेन पिन सिन, लिन सू चिन, वू यू हुवा, वेंग यिंग लिन आदि उपस्थित थे|