शिलोंग, 09-नवम्बर-2017 | आज NERCORMP द्वारा शिलांग में दो दिवसीय कार्यशाला “Eastern Himalaya Trans- Workshop” का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर मेघालय के माननीय राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद जी, डॉ शैलेन्द्र चौधरी (MD NERCORMP ), डॉ राशा उमर (Director IFAD), श्री राम मुवाह (Secretary North Eastern Council & Chairman, NERCORMP) श्री सी० के० दास (Hon`ble Member, North Eastern Council) उपस्थित रहे। कार्यक्रम मैंने जो विचार रखे प्रस्तुत हैं उनके कुछ अंश ……
नॉर्थ ईस्ट के लोगों का प्यार, सरलता और भोलापन यहां की ताकत है। यहां के विकास के लिए काम कर रहीं तमाम सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं धन्यवाद की पात्र हैं। नॉर्थ ईस्ट को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए कई काम करने जरूरी हैं। देश में करीब 50 हजार से ज्यादा औषधीय पौधों की ऐसी प्रजातियां हैं जिनकी पहचान आज तक नहीं की गई है। हिंदुस्तान में 72 हज़ार औषधीय पौधों की लिस्ट पतंजलि के साइंटिस्टों ने बनाई है, यह दुनिया का सबसे बड़ा काम पतंजलि के माध्यम से हो रहा है। ये पतंजलि के प्रयासों का ही नतीजा है कि जो दुनिया में 20 हज़ार पेड़ पौधे थे वो पतंजलि के प्रयासों के कारण 72 हज़ार पहुंच गए। भारत में मेडिसिनल प्लांट्स की लिस्ट 2500 से बढ़कर अब 10 हज़ार से ज्यादा हो गई है, इसमें अभी और इजाफा हो सकता है। मेगा बायो डायवर्सिटी के मामले में 17 देशों में भारत भी एक है। यहां मौजूद जनजातियों के पास अपनी तरह की चिकित्सा पद्धति है। यहां आज भी 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग सदियों पुरानी चिकित्सा पद्धति पर निर्भर हैं इसलिए ये जरूरी है कि इसके ऊपर काम होना चाहिए। पतंजलि इस चिकित्सा पद्धति को दुनिया भर तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। नॉर्थ ईस्ट में सब्जियों की भी कई प्रजातियां हैं वो भी मेडिसिनल हैं। ऑर्गेनिक आज फैशन बनता जा रहा है, उसमें न्यूट्रिशंस नहीं है परंतु पारंपरिक खाद्य पदार्थों में पोषणता है। असम के कई क्षेत्रों में हमने काम किया। असम में नॉर्थ ईस्ट का सबसे बड़ा फूड प्रोसेसिंग पतंजलि ने स्थापित किया है। इसी तरह से मणिपुर आदि में भी पतंजलि कई काम करने जा रहा है। जिससे खाद्य पदार्थ तो बेहतर होंगे ही साथ ही किसानों को भी फायदा होगा। आज जरूरी है कि हम ट्रेडिशनल और मेडिकल फूड के लिए रिसर्च करें। उत्पादक यदि देश में स्वदेशी उत्पादों पर काम करेंगे पतंजलि उनकी ब्रांडिंग करेगा। इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट में एक बड़ा सीड बैंक बनाए जाने की आवश्यकता है, जिससे हम प्रजातियों को संरक्षित कर सकेंगे। साथ ही पतंजलि रिवर्स फार्मेसी के लिए गांव-गांव जाकर काम करने जा रहा है। पतंजलि का संकल्प है कि हम पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए कार्य करेंगे।