19 Dec 2021: योगगुरु बाबा रामदेव के दिशा-निर्देशन और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के करीब 150 वैज्ञानिकों के प्रयास से भारतीय किसान और कृषि संबंधी समस्याओं के निस्तारण को एक व्यापक योजना तैयार की गई है।
योगगुरु बाबा रामदेव के दिशा-निर्देशन और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के करीब 150 वैज्ञानिकों के प्रयास से भारतीय किसान और कृषि संबंधी समस्याओं के निस्तारण को एक व्यापक योजना तैयार की गई है। इसे ‘नवहरित क्रांति-एन एग्रो विजन’ पुस्तक में संकलित किया गया है। कहा गया कि पतंजलि कृषि क्षेत्र में नवक्रांति का सूत्रपात कर रहा है।
रविवार को आचार्य बालकृष्ण की अध्यक्षता में आनलाइन और आफलाइन गोलमेज चर्चा में इस अद्भुत संकलन के माध्यम से कृषि से जुड़ी बुनियादी समस्याओं के निस्तारण, कृषि को सरल बनाने और किसानों की आय में अभिवृद्धि के लिए भावी योजनाओं पर विचार किया गया। योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि की किसान समृद्धि के लिए कई योजनाएं हैं। जैविक कृषि प्रशिक्षण से लेकर जैविक खाद, उच्च गुणवत्तायुक्त बीज और उर्वरक न्यून मूल्य पर किसानों को सुलभ कराए हैं। अब तकनीकी क्षेत्र में भी पतंजलि ने किसानों की सहायता करने के लिए आधुनिक एप विकसित किए हैं, जिनकी सहायता से भूमि की जियो-मैपिग, जियो फेंसिग तथा मौसम का पूर्वानुमान जैसी बुनियादी जानकारी आसानी से सुलभ हो सकेंगी। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि का उद्देश्य किसानों की आय में अभिवृद्धि करना, कृषि संबंधी डिजिटल समाधान तथा सरकार की सभी योजनाओं का लाभ देश के अंतिम किसान तक पहुंचाना है। पतंजलि ने किसान और सरकार के बीच की दूरी को समाप्त करने का कार्य किया है। नवहरित क्रांति-एन एग्रो विजन को व्यवहारिक रूप से धरातल पर उतारा जाता है तो निश्चित रूप से इसका लाभ किसानों को मिलेगा।
कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा ने चर्चा में आनलाइन हिस्सा लेते हुए कहा कि पतंजलि कृषि के क्षेत्र में नवक्रांति का सूत्रपात कर रहा है। इसका यह प्रयास सराहनीय है। नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेशचंद ने कहा कि यह मात्र एक किताब नहीं पूरा इन्साइक्लोपीडिया है। कहा कि कृषि में आगामी क्रांति नान एग्रीकल्चर साइंस के माध्यम से होगी। जीबी पंत कृषि और तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. तेज प्रताप ने इसे अद्वितीय कार्य बताया। कृषि नीति विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा, कविदर सिंह, इंटरनेशनल क्राप रिसर्च इंस्टीट्यूट फार सेमी-एरिड ट्रोपिक्स के पूर्व कुलपति डा. एचसी शर्मा, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के पूर्व चीफ डा. पीके जोशी, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक तथा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विशेषज्ञ डा. सीएल आचार्य आदि मौजूद रहे। Read More…..